बात से बात चले: अभिषेक शुक्ला के साथ एक अदबी गुफ़्तगू
अभिषेक शुक्ला: यह सन् 2004 की बात है विकास भाई.. यहाँ लखनऊ में एक डिबेट कंपटीशन हुआ करता थाएमैंने भी उसमें हिस्सा लिया और मुझे उसमें पहला ईनाम भी मिला मगर मुश्किल यह थी कि ईनाम से ठीक पहले एक मुशायरा रखा गया था और हमारी मजबूरी ये थी कि
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