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बात से बात चले: अभिषेक शुक्ला के साथ एक अदबी गुफ़्तगू

विकास शर्मा राज़ : शुरुआत एक रिवायती लेकिन बुनियादी सवाल से करते हैं ।आपकी शा’इरी की शुरुआत कैसे हुई ?

आख़िर लफ़्ज़ कहाँ सुकून का साँस लेते हैं?

कुछ दिन हुए रेख़्ता ब्लॉग पर एक आर्टिकल पढ़ा, “लफ़्ज़ों पर निगरानी रक्खो” नाम से। इस में ग़लती निगरानी, हरकत जैसे अल्फ़ाज़ पर बात की गयी है, असातेज़ा के यहाँ उनका इस्ते’माल किस वज़्न पर हुआ है, इसकी मिसालें भी पेश की गयी हैं। 

पण्डित दत्तात्रिया कैफ़ी और बे-दख़्ल किये गए शब्दों की कहानी

मतरूकात दरअस्ल उन अल्फ़ाज़ को कहते हैं जिन्हें शाइरी में पहले बग़ैर किसी पाबन्दी के इस्ते’माल किया जाता था मगर बाद में मशाहीर और असातेज़ा ने उनका इस्ते’माल या तो बंद कर दिया या इस्ते’माल रवा रक्खा भी तो कुछ पाबंदियों के साथ रवा रखा।